दल बदलू
By Salaam India on October 24, 2014, in Laghu Kathaएक नवजात का भाग्य लिखने विधाता मर्त्यलोक में पधारे हुए थे। उस नवजात के राजनीतिज्ञ पिता को देख वे आश्चर्यचकित हुए। उन्हें भलीभांति याद था कि इसके भाग्य में उन्होंने संतान सुख नहीं लिखा था। फिर यह चमत्कार कैसे हुआ? कहीं वे गलती तो नहीं कर बैठे थे।
अतः सत्य जानने के लिए उन्हें राजनीतिज्ञ के सामने प्रकट होकर पूछना ही पड़ा। राजनीतिज्ञ ने हाथ जोड़कर कहा, ‘‘प्रभु, पिछले निर्वाचन में हाईकमान ने मुझे टिकट नहीं दिया था। जिस कारण दुःखी होकर मैंने पार्टी बदल ली थी और निर्वाचन जीतकर मन्त्री भी बन गया था। पर सरकार टिक नहीं पाई। सरकार के गिरते ही मैं पुनः पुरानी पार्टी में वापस आ गया। अब मैं पार्टी के प्रति पूर्णतया निष्ठावान हूँ।
क्षणिक रूके राजनीतिज्ञ, मुस्कुराये। फिर कहा ‘‘- प्रभु मेरी पत्नी भी अब मेरे प्रति पूर्णतया निष्ठावती है।’’
बेचारे विधाता ने अन्तर्धान होने में ही अपनी भलाई समझी।
कुमुद