श्रृंखल
भारी मन लिये कालेज के लिए तैयार हो रही थी स्वाति। आज सुबह अखबार की मर्मस्पर्षी खबर से मन विचलित हो उठा था। तीन लोगों
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भारी मन लिये कालेज के लिए तैयार हो रही थी स्वाति। आज सुबह अखबार की मर्मस्पर्षी खबर से मन विचलित हो उठा था। तीन लोगों
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ऊपरी तल्ले के अदब-कायदे इन दिनों मेरा प्रत्याख्यान करने लगे दीवार में टंगी प्रख्यात शिल्पी का पोट्रेट, मेरा प्रिय आर्किड या एक्वेरियम में तैरती रंग-बिरंगी मछलियाँ
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सारा दिन एक मंदिर के बाहर बैठ भीख मांगता था मंगतू। और कभी बुदबुदा कर तो कभी मन ही मन गाली देता रहता था,‘‘ साले
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शुगर लेवल क्या बढ़ गया, मानो आफत आ गयी। डॉक्टर के कहने पर मॉर्निंगवाक् करना पड़ रहा है शिवानी को। वरना ठंड के मौसम में नींद
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लब्जों में मेरी खूबसूरती बयाँ ना करो तुम तुम्हारी प्यार भरी नजरों में यूँ ही झलक जाता है। नजराने मेरी चाँद-सितारे तोड़ा ना करो तुम
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सुबह, चाय की चुस्कि के साथ मैंने अखबार के पहले पन्ने पर नजर दौड़ाई। उपर में ही जंगली हाथियों के झुंड की तस्वीर छपी थी।
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श्रृष्टि-स्थिति-विनाशक एक साथ मिल-बैठ गप्पेबाजी कर रहे थे। शिव जी ने कहा,‘ मर्त्यलोक में मनुष्य जब खुश रहता है, तब हमें याद नहीं करता! ब्रह्माजी बोले,‘
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कयामत कैसे आयी, कैसे गुजरी, किसी को पता नहीं था। एक जगह एक मनुष्य, एक कुत्ता, एक गाय, एक कौआ और एक साँप जीवित बचे
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मैंने युद्ध देखा है कत्लेआम मैंने आसमान से छिटकते बमों की विभीषिका देखी है मैंने धू-धू कर जलती आग में घर-बार-बस्तियों को राख होते देखा
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शर्माजी हड़बड़ाकर जा रहे थे। या यूँ कहिये, सीने में दर्द और कुछ ज्यादा ही पसीना आने की वजह से उन्हें हड़बड़ाकर ले जाया जा
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तपती धूप में उनके पसीना बहाने से ही मिट्टी काँपने लगेगी घनघोर वर्षा माथे पे लिये उनके हल पकड़ने से ही फसल फलेगी दिगन्त में
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नर और मादा गिद्ध तथा उनका बच्चा, तीनों ही तीन मनुष्यों की लाश पर बैठ मांस खाने में मस्त थे। अकस्मात नर गिद्ध इधर-उधर पड़े
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मैं अभाव से बेहाल जी रहा था चाह थी जीवन को रर्इसी से जीने की आस थी , सपना था मेरे सपनों को चार-चाँद लगाने
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दोपहर को झपकी लेने की कोमल की आदत सी है। ऐसे वक्त घर में किसी का आना उसे नागवार लगता है। आज भी विरक्ति के
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आज के कवि सम्मेलन में एक नयापन था कविता पाठ से पहले हर कवि को कविता के विषय पर व्याख्यान देना था किसी ने नस्लवाद,
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