श्रृंखल

By on March 15, 2015, in Best Picks, Laghu Katha

भारी मन लिये कालेज के लिए तैयार हो रही थी स्वाति। आज सुबह अखबार की मर्मस्पर्षी खबर से मन विचलित हो उठा था। तीन लोगों नें दसवी की एक छात्रा को अगवा कर ना सिर्फ बलात्कार किया बल्कि बेरहमी से शराब की टूटी हुर्इ बोतल घोप-घोप कर मार डाला।

नाश्ते की टेबल पर पापा आज कुछ ज्यादा ही गंभीर थे। स्वाति पर नजर पड़ते ही थोड़ी नाराजगी के साथ उन्होंने कहा,” आज की इस खबर को पढ़ा तुमने? जो हालात हैं, अब ये जींस-वींस पहनना छोड़ो।

पापा की ये तकरीर स्वाति को समझ नहीं आर्इ,” क्यों मैं तो रोज ही जींस-टाप पहन कर जाती हूँ पापा। अकस्मात ही पापा की आवाज में कठोरता आ गर्इ, ” अब से सलवार-कमीज पहन कर ही कालेज जाया करोगी। और वो शाम वाली ट्यूशन क्लास भी बन्द।

स्वाति ने विरोध करना चाहा, पर पापा, आपको पता है फिजिक्स में मैं कमजोर हूँ। टयुशन के बिना मैं…

स्वाति की बात को बीच में ही काटते हुए छोटे भार्इ रोहन ने तपाक से कहा, ” पापा ठीक ही कह रहे हैं दीदी। मुझे भी बहुत गुस्सा आता है, जब गली के मोड़ पर अड्डा जमाए वे लड़के तुम्हें देख सीटी मारते हैं।

स्वाति नाराजगी से भार्इ की तरफ देखती है, ” वे सीटी मारते हैं… वे लफंगे हैं। इससे मेरी पढ़ार्इ में अड़चन क्यों? मैं पढ़ूंगी ही…।

बीच में माँ ने भी टोका, ” पापा-भार्इ तुम्हारी भलार्इ के लिए ही तो सोच रहे हैं बेटा। कल को तुम्हारे साथ कुछ उँच-नींच हो जाय तो, कहीं के नहीं रहेंगे हम। ट्यूशन से तुम शाम ढले आती भी तो हो।

तभी रोहन ने कुछ सोचते हुए कहा,” तुम ऐसा करना दीदी, ट्यूशन के बाद वहीं, सर के पास रूक जाना। मैं अपनी ट्यूशन से लौटते समय तुम्हें साथ लेता आउँगा। और पापा कह रहे हैं तो जींस मत पहनो।

तिलमिला जाती है स्वाती,” तुम क्यों पहनते हो? तुम भी मत पहनो, धोती-कुर्ता पहनो।

रोहन ने तुनक कर कहा,” मैं क्यों पहनु। मैं कोर्इ लड़की हूँ क्या जो मुझे देख कोर्इ सीटी मारेगा।

– अच्छा! बहन को देख किसी के सीटी मारने पर अगर इतना गुस्सा आता है तो उसे जाकर मारो, मुँह तोड़ दो। बड़ा आया बॉडीगार्ड।

भार्इ-बहन की तकरार के बीच पापा ने जोर से डाँटा,” अच्छी तरह से सुन लो स्वाति, इस मामले में तुम्हारी जिद्द नहीं चलेगी। भूल मत जाओ, आखिर तुम एक लड़की हो और लड़की की इज्जत मिट्टी के बरतन की तरह होती है। जो हमनें कह दिया वही होगा। कहते हुए गुस्से से उठ कर चले जाते हैं वे।

लांछित सा महसूस करती है स्वाति। हृदय को मचोड़ती हुर्इ वेदना से आँखें छलछला उठती है उसकी।

बैग कंन्धे पर डाल दृढ़ कदमों से प्लाजा रोड की ओर चल देती है स्वाति। इस निश्चय के साथ कि आज वह मार्शल आर्ट ट्रेनिंग क्लास में ज्वाइन करेगी ही करेगी। निर्बल पर ही तो बल का प्रयोग हो सकता है न! काश वह पापा-भार्इ को बलात्कार का प्रकृत अर्थ समझा पाती।

कुमुद