मनुष्य की खोज
By Salaam India on October 24, 2014, in Best Picks, Laghu Kathaकयामत कैसे आयी, कैसे गुजरी, किसी को पता नहीं था। एक जगह एक मनुष्य, एक कुत्ता, एक गाय, एक कौआ और एक साँप जीवित बचे हुए थे। उन सभी में आपस में सलाह मशविरा हुआ, क्यों न अपनी-अपनी प्रजातियों के अन्य प्राणियों की खोज की जाय। एक पखवारे बाद, यहीं पर फिर मिलेंगे, इस वादे के साथ सभी अलग-अलग दिशाओं में निकल पड़े।
निश्चित समय के बाद सभी फिर से वहीं इकट्ठे हुए। सभी प्रजातियों के अपने-अपने झुण्ड बन चुके थे। पर मनुष्य अकेला ही आया था। सभी ने आश्चर्यचकित होकर पूछा, तुम्हारी प्रजाति का तुम्हें कोई नहीं मिला? मनुष्य ने उदास होकर कहा, -मिले तो कई थे। पर …! पहला आदमी गोरा था, जिसने मुझे देखकर मुँह बिचका लिया। दूसरा पाकिस्तानी था, उसने मुझे हिन्दुस्तानी जान लाल-लाल आँखों से घूरा। फिर मुझे एक भारतीय मिला। वह मुसलमान था, मुझे हिन्दू जानकर पहले हिचकिचाया फिर कन्नी काट गया। अन्त में मुझे एक हिन्दू मिला। मैं खुश हो गया। पर मैं दलित हूँ यह सुनते ही, वह उल्टे पैर भाग गया। वह ब्राह्मण जो था।
अब मैं समझ गया हूँ, मनुष्य को खोजना बहुत कठिन है।
कुमुद