जिजीविषा

By on October 24, 2014, in Laghu Katha

थकाहारा मरियल सा एक व्यक्ति सुनसान रास्ते से अकेला ही चला जा रहा था। बेचारा जितने कदम बढ़ा नहीं रहा था उससे कहीं ज्यादा तो गिर रहा था। एक बार गिरा तो उठने की हिम्मत भी नहीं जुटा पाया।

तभी एक बलवान व्यक्ति ने आकर उसे खींचकर खड़ा कर दिया। बेचारे ने सहमी आखों से देखा, चार पाँच व्यक्तियों ने उसे घेर रखा था।

–कौन हो भाई, तुम लोग? मुझसे क्या चाहते हो?

बलवान व्यक्ति ठहाका लगा कर हँसा।– नहीं पहचाना? कैसे पहचानोगे? मोटा तगड़ा जो हो गया हूँ। अरे मुर्ख! मैं तुम्हारा वही चिरशत्रु झूठ हूँ।

पहला व्यक्ति चौंका। फिर गुस्से से उसका चेहरा अकड़ गया।-तुम्हारी हिम्मत कैसे हुई मेरे सामने आने की?

बलवान व्यक्ति और जोर से हँसा-इसे कहते हैं, ‘रस्सी जल गई पर बल नहीं गये।’ जरा इनसे भी तो मिलो! यह है मेरा बड़ा बेटा भ्रष्टाचार-यह दूसरा बेटा व्यभिचार-यह तीसरा बेइमान और यह सबसे छोटा कामचोर। इनके कारिन्दों से घिरे होने के कारण भारत के तथाकथित ईमानदार प्रधानमंत्री भी ‘मैं बेकसुर हूँ’– ‘मैं मजबूर हूँ’ बोलकर अपने बचाव में में. में करते हैं।  और तू अकड़ दिखा रहा है? तेरे चालीस पचास साल पहले के दिन लद गये। अब तो तेरा सहारा लेने वाला ढूंढने से ना मिले! आज भारत में मेरा ही राज चल रहा है।

पहले व्यक्ति ने किसी तरह हिम्मत जुटाकर कहा,‘‘तुम्हारा राज ज्यादा दिन नहीं चलता है। इतिहास के पन्ने पलट कर देख लो। मैं तो…

बलवान व्यक्ति ने उसे बीच में ही डाँट दिया–चुप्प! अब तू केवल सुनता जा।

फिर बड़े बेटे की ओर मुखातिब होकर बोला, बेटे भ्रष्टाचार तुझे मैंनें न्यायपालिका में भी पैर पसारने कहा था ना? क्या प्रोग्रेस है?

बड़े बेटे ने तपाक से जवाब दिया-न्यायपालिका के निचले तबके में तो काम कर चुका हूँ। कार्यपालिका और विधायिका से भी अच्छा काम हुआ। चपरासी से लेकर सरकारी वकील तक मुझसे लबालब हो गये हैं। पर उपरी विभाग में अभी भी इनके कुछ चेले चामुंडे बचे हैं। बस उसी में सेंध मार रहा हूँ।

बलवान व्यक्ति ने अब दुसरे बेटे से कहा–बेटे व्यभिचार, तुम्हारे जिम्मे राजनितिज्ञों में छाने का काम दिया था। उसका…

दूसरा बेटा बीच में ही हँस पड़ा-क्या काम करता पापा, काम कुछ था ही नहीं। मुझे तो लगता है, आपके और हम चारो भाइयों के सारे गुणों को संग लिए ही आज के भारत में राजनीतिज्ञ बनते हैं। नहीं तो टीक ही नहीं पाते।

पहला व्यक्ति कांपने लगा था। फिर भी किसी तरह बोल पाया, तुम लोग देखते रहना, एक दिन उन सभी के साथ साथ जनता तुम्हें भी उखाड़ फेंकेगी।

फिर से ठहाका लगा कर हँसा बलवान। फिर दोनो छोटे बेटों बेइमान और कामचोर की ओर ताककर पुछा, तुम दोनो के काम का क्या हाल है? जरा इन्हें भी तो सुना दो!

दोनो बेटे एकसाथ बोल पड़े-बहुत अच्छा! आपके कहे अनुसार अरबपती से लेकर भिखारी तक के संस्कार में हम बस चुके हैं। इनके जैसे दो चार पागल ही बचे हैं। उनका हाल भी इन्ही के जैसा ही होगा।

बेचारा पहला व्यक्ति चारोखाने चित्त होकर गिर पड़ा। और वे पाँचों बाप-बेटे ठहाका लगाकर हँसते हुए चल पड़े।

पहला व्यक्ति फिर से उठने की कोशिश करने लगा। उसे पूर्ण विश्वास था, वह एकबार फिर उठ खड़ा होगा।

कुमुद