भगवान के दिन बहुरे

By on October 24, 2014, in Laghu Katha

भगवान दुःखी थे। अतः कुछ दिनों से कामकाज में उनका मन नहीं था। और भक्तों के आवेदन की फाइलों का पहाड़ ऊँचा होता जा रहा था।

भगवान हैं तो क्या? ईर्ष्या से परे तो नहीं! वे भी ख्यातिसम्पन्न और प्रभावशाली हैं। उनके इस प्राचीन मंदिर में भीड़ कोइ कम तो नहीं होती है! बल्कि दिन पर दिन बढ़ती ही जा रही है। फिर भी मिडिया द्वारा उन्हें बिल्कुल भी कवरेज नहीं मिलता है। क्यों? जब कि उनकी समझ से उनके मंदिर की प्रसिद्धि तिरूपति मंदिर, स्वर्ण मंदिर, या सत्यसाईं मंदिर से कम तो नहीं!

इसी कारण इन दिनों मध्यवर्गीय तथा निम्नवर्गीय भक्तों से वे कुछ ज्यादा ही नाराज थे। ये हुजुम के हुजुम आते हैं और मांगते ही रहते हैं- अन्न दो, वस्त्र दो, बेटे को नौकरी दिलवा दो, बेटी की शादी करवा दो… केवल दो, और दो। इन्हें सिर्फ अपनी ही पड़ी रहती है। इधर भगवान का पुराना घर घँस रहा है, किसी को कोइ सुध ही नहीं है। इन भुखमरे भक्तों के बढ़ते हुजुम के कारण ही इन दिनों वी.आइ.पी. भक्त उनसे कन्नी काट रहे हैं।

एक सुबह जब वे निद्रा से जागे तो उन्होनें देखा, मंदिर परिसर मानो पुलिस की छावनी बन गया है। एक बारगी वे डर ही गये, कहीं उनपर आतंकवादी हमला होने की आशंका तो नहीं है! या फिर अनजाने ही वे किसी खजाने पर तो नहीं बैठे हुए हैं। अचानक उन्होनें देखा, आज भक्तों की भक्ति की लहर का रूख उनकी ओर ना होकर बाहर मुख्य प्रवेश द्वार की ओर है। फिर उन्होनें देखा, कैमरा हाथ में लिये बहुत सारे मिडिया वालों के बीच घिरे हुए बॉलीवुड के सुपरस्टार बीग बी. अपनी स्टार पत्नी तथा स्टार बहु-बेटे के साथ पधार रहे हैं।

भगवान खुशी से उछल कर उनका अभिनन्दन के लिए खड़े होना चाहे। तभी उन्हें अहसास हुआ, यहाँ वे पद्मासन में बैठे मुर्तिरूपी पाषाण हैं।

चूंकि कैमरे के फ्लैश लाइट से भगवान की आँखे चुंधिया रही थी, फिर भी आज वे खुशी से गद्गद् थे।

कुमुद