फिजाँ का रंग

By on October 25, 2014, in Poem

पिज़्ज़ा या सैंडविच नहीं
मुझे एक कटोरा बासी भात दे दो
नमक-मिर्च के संग
मैं भूख का स्वाद चख लूँगी

इटालियन सिल्क नहीं
मुझे एक तार तार वस्त्र पहना दो
अंग ढके ना, ढके
मैं लज्जा को विवश होते देख लूँगी

यहाँ नींद विलासिता है
फूटपाथ पर बिछे उन बोरों पर मुझे
एक रात की पनाह दे दो
मैं गहरी नीन्द सो लूँगी

फूलों की सुगन्घ नहीं
मुझे उनके दु:खों का अहसास दिला दो
मैं थोड़ा सा रो लूँगी
रो रो कर हँस लूँगी

                                                       कुमुद